Breakout trading क्या है हिंदी में, ट्रेडिंग में फेक ब्रेकआउट क्या होता है, स्टॉक में फेक ब्रेकआउट और वास्तविक breakout की पहचान कैसे करें, ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीतियां हिंदी में क्या हैं? चैनल ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी, ब्रेकआउट ट्रेडिंग एंट्री , ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्टॉपलॉस , ब्रेकआउट ट्रेडिंग टाइमफ्रेम, वॉल्यूम प्रोफाइल के साथ ब्रेकआउट ट्रेडिंग, ब्रेकआउट ट्रेडिंग सक्सेस रेट, ब्रेकआउट ट्रेडिंग बुक रिव्यू, ब्रेकआउट ट्रेडिंग चार्ट, ब्रेकआउट ट्रेडिंग बनाम मोमेंटम ट्रेडिंग
दुनिया भर में ट्रेडर्स द्वारा विभिन्न प्रकार के ट्रेडिंग किए जाते हैं और ब्रेकआउट ट्रेडिंग एक ऐसा ही प्रकार है। ब्रेकआउट ट्रेडिंग करने के लिए आपको पहले सपोर्ट रेजिस्टेंस और सप्लाई डिमांड लाइन/जोन में महारत हासिल करनी चाहिए, तब जाकर आप कही इस ट्रेडिंग स्टाइल में महारत हासिल कर सकते हैं |
What is breakout trading in Hindi? ब्रेकआउट ट्रेडिंग क्या है?
ब्रेकआउट ट्रेडिंग को समझने से पहले आइए पहले समझते हैं कि ब्रेकआउट किसे कहते हैं। अगर आप इस शब्द को गौर से देखें तो यह दो शब्दोंसे बना है ब्रेक और आउट। जब वो अपने पहले रेजिस्टेंस और सपोर्ट लेवल्स को तोड़कर जब बाहर निकलता है तब उसे ब्रेकआउट कहते हैं |
तो, ब्रेकआउट वॉल्यूम में वृद्धि के साथ जब वो अपने पहले रेजिस्टेंस और सपोर्ट लेवल्स को तोड़कर जब बाहर निकलता तब उसे प्रॉपर ब्रेकआउट कहते हैं |
जब भी कोई ब्रेकआउट देखा जाता है तो ट्रेडर्स लॉन्ग पोजीशन लेते हैं यदि ऊपर की ओर हुआ हो और नीचे की ओर अगर होता है तो वे शॉर्ट पोजीशन लेते हैं। यह ब्रेकआउट ट्रेडिंग की एक सरल परिभाषा है।
Types of trading in share market
What is false breakout in trading? फाल्स ब्रेकआउट किसे कहते हैं ?
जब कोई स्टॉक की कीमत रेजिस्टेंस और सपोर्ट को तोड़ देती है लेकिन वहां टिकने में असमर्थ होती है क्यूंकि उसमे बिक्री (सपोर्ट को ब्रेक करने पर) या खरीदारी (रेजिस्टेंस को ब्रेक करने पर) के दबाव के कारण यह शैडो बना देती है जिससे इसका प्राइस निचे आ जाता है। इसे फाल्स ब्रेकआउट या फेल्ड ब्रेकआउट कहते हैं।
How to identify false breakout and real breakout in stocks— स्टॉक में फाल्स ब्रेकआउट और वास्तविक ब्रेकआउट की पहचान कैसे करें
हमेशा वास्तविक breakout की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करें। फाल्स ब्रेकआउट से वास्तविक ब्रेकआउट की पहचान करने के लिए आपको कुछ मापदंड देखने चाहिए और ये हैं: –
- जैसा कि नाम से पता चलता है कि ब्रेकआउट कैंडल बड़ी होनी चाहिए और इसमें ऊपरी और निचली विक / शैडो नहीं होनी चाहिए, क्योंकि एक बड़ी कैंडल उस लेवल पर स्मार्ट पैसे की भागीदारी को दर्शाती है, जो कीमत को और ऊपर ले जाने में मदद करती है। इसका मतलब यह नहीं है कि यदि कई छोटी कैंडल के साथ ब्रेकआउट होता है तो कीमतों में उतार-चढ़ाव नहीं हो सकता है, लेकिन आपके पास एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिस पर आप ट्रेड करते हैं।

- इसके लिए हम प्रति घंटा, डेली और मंथली जैसे अलग-अलग टाइम फ्रेम चार्ट ले सकते हैं। इसलिए, कम समय में ब्रेकआउट होने के लिए हम दैनिक या प्रति घंटा का चार्ट ले सकते हैं, क्योंकि ये सबसे कम समय वाला चार्ट हैं, जिसमे हमें ट्रेड करना है। सक्सेस रेट अलग-अलग समय सीमा में भिन्न हो सकती है |

- यदि ब्रेकआउट ऊपर की दिशा में होता है, तो बिक्री पक्ष का अभाव होगा। यदि, डेली चार्ट में ब्रेकआउट होता है और बंद होने से पहले कुछ गंभीर बिकवाली होती है, तो इसका परिणाम विक / शैडो के रूप में होता है और कीमत आगे नहीं बढ़ पाती है।
उदाहरण – यदि दिन का निचला स्तर 100 है और दिन का उच्च 110 है तो दिन की समाप्ति 108 से ऊपर होनी चाहिए (दिन की सीमा 10 अंक है और दिन की सीमा का 20% 2 अंक है)
- यह अच्छी मात्रा के साथ होना चाहिए – ब्रेकआउट अच्छी मात्रा के साथ होता है; यह चार्ट पर स्पॉट करना आसान है जो स्मार्ट मनी की भागीदारी को दर्शाता है
What are the breakout trading strategies in Hindi? ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीतियाँ हिंदी में क्या हैं?
रणनीतियों में निम्नलिखित चीजें होनी चाहिए:
1. कब उसमे एंटर करना है वह होगा आपका – एंट्री
2. जब आपको ट्रेड से बाहर निकलना चाहिए – टारगेट
3. अपने लॉस को कम करने के लिए – स्टॉप लॉस
4. रिस्क रिवॉर्ड रेशियो यानी कि आप ट्रेड के लिए कितनी राशि का जोखिम उठा रहे हैं और ट्रेड से बाहर निकलने के बाद आपको कितना मुनाफा होगा।
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Breakout trading entry
यदि ब्रेकआउट के सभी 4 क्राइटेरिया संतुष्ट हैं तो आपको ब्रेकआउट कैंडल से ऊपर ही प्रवेश लेना चाहिए। ब्रेकआउट कैंडल की ऊंचाई से नीचे कभी भी खरीदारी न करें। इसके अलावा, अगले दिन यदि यह पिछले दिन से 2% ऊपर खुलता है तो ट्रेड न लें क्योंकि इससे स्टॉप लॉस बढ़ता है और इसके परिणामस्वरूप प्रॉफिट बुकिंग देखने को मिल सकती है।

Breakout trading stop loss
आदर्श रूप से आपको स्टॉप लॉस को ब्रेकआउट कैंडल के लो के नीचे रखना चाहिए। यदि कैंडल बहुत बड़ी है और आप अपने पैसे को जोखिम में डालने को तैयार नहीं हैं तो आप ब्रेकआउट कैंडल के 50-60% पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।

Breakout candle target
आपको कब ट्रेड से बाहर निकलना चाहिए और प्रॉफिट बुक करना चाहिए? यदि ट्रेड 1:2 रिस्क रिवॉर्ड दे रहा है तो ट्रेड को ही लें अन्यथा ट्रेड को छोड़ दें या अलग ट्रेड की तलाश करें। लाभ को अधिकतम करने के लिए टारगेट पर 75% पोजीशन से बाहर निकलें और डे कैंडल के निचे स्टॉप लॉस के साथ शेष 25% पोजीशन आगे बढ़ाये |

Breakout trading timeframe
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप स्विंग ट्रेडिंग, पोजिशनल ट्रेडिंग, स्केलिंग या डे ट्रेडिंग कर रहे हैं या नहीं।
1. स्विंग ट्रेडिंग – daily टाइम फ्रेम
2. पोजिशनल ट्रेडिंग – साप्ताहिक और मासिक टाइम फ्रेम (weekly – monthly)
3. BTST (आज खरीदें, कल बेचें) ट्रेडिंग – hourly टाइम फ्रेम
4. स्कैल्पिंग – 5 मिनट से 15 मिनट
Breakout trading book in hindi
अगर आप हिंदी में ब्रेकऑउट टट्रेडिंग की किताब खोजने जायेंगे तो आपको नहीं मिलेगी, क्यूंकि अभी हिंदी में ब्रेकआउट के ऊपर कोई किताब नहीं है |
यदि आप अभी शुरू ही कर रहे हैं अपना ट्रेडिंग और ब्रेकआउट ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो आप Indrazith Shantharaj की पुस्तक How to make money with breakout trading पढ़ सकते हैं। यह पुस्तक उन शुरुआती लोगों के लिए बहुत अच्छी है जो ब्रेकआउट ट्रेडिंग के बारे में जानना समझना चाहते हैं।
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अगर आपको यह किताब का pdf चाहिए तो आप contact Us भरकर मुझे अपना मेल ID भेज दीजिये, मैं आपको यह किताब का pdf सेंड कर दूंगा पर एक चीज़ मैं आपको बताना चाहता हूँ, यह किताब इंग्लिश में है, हिंदी में नहीं |
Breakout trading success rate
जरुरी नहीं की सभी ब्रेकआउट अच्छा मुनाफा देकर जाए, कुछ का परिणाम ब्रेक ईवन (हल्का सा ऊपर जाकर फिर निचे आ जाना) भी हो सकता है और कुछ आपके स्टॉप लॉस को ट्रिगर कर सकते हैं इसलिए अपने स्टॉप लॉस को ट्रेल करना हमेशा बेहतर होता है। 70 से 80 प्रतिशत ही सही ब्रेकआउट होते हैं और उसमे से भी 40 से 50 प्रतिशत ही अच्छा मुनाफा देकर जाएंगे |
Breakout trading v/s momentum trading
ब्रेकआउट ट्रेडिंग और मोमेंटम ट्रेडिंग के बीच बहुत सारे अंतर हैं। कीमत में वृद्धि से पहले ब्रेकआउट ट्रेडिंग में यह कुछ समय के लिए अक्सुमुलेशन फेज में जाता है जिसे अक्सुमुलेशन फेज या डिस्ट्रीब्यूशन फेज के रूप में माना जा सकता है|
जबकि मोमेंटम ट्रेडिंग में प्राइस पहले से ही ब्रेकआउट दे चुकी होती है और गति प्राप्त कर चुकी है या हायर-हाई और हायर-लो प्राइस-एक्शन पैटर्न बना रही है। मोमेंटम ट्रेडिंग में यह अपनी रफ़्तार बना चुकी होती है और उसी रफ़्तार से आगे बढ़ती रहेगी जब तक ट्रेंड रिवर्स नहीं हो जाता |
Weekly breakout stocks
ब्रेकआउट स्टॉक्स ढूढ़ने के लिए आप कुछ वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे कि – chartink
यहाँ पर आपको हर तरह के ब्रेकआउट स्टॉक्स मिल जायेंगे जैसे की – 15 मिनट ब्रेकआउट स्टॉक्स, चार महीने से चार – पांच साल के ब्रेकआउट सब स्टॉक्स यहाँ पर देखने को मिलेंगे |
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