फंडामेंटल एनालीसिस कैसे करें in hindi, Fundamental analysis in Hindi, कंपनी के fundamental कैसे चेक करें, शेयर का fundamental analysis कैसे करें, how to do fundamental analysis in Hindi?
आज के इस लेख में हम फंडामेंटल एनालिसिस करना सीखेंगे जैसे कि – किसी कंपनी या शहर का फंडामेंटल एनालिसिस कैसे कर सकते हैं, फंडामेंटल एनालिसिस में क्या – क्या देखना चाहिए, साथ में हम यह भी देखेंगे कि फन्डामेंटल एनालिसिस करना क्यों जरूरी है |
इन सब के अलावा हम फंडामेंटल एनालिसिस के फायदे और नुकसान के बारे में भी पढ़ेंगे, तो बिना किसी देरी के चलिए हम शुरू करते हैं फंडामेंटल एनालिसिस कैसे कर सकते हैं |
फंडामेंटल एनालिसिस kya hota hai? | Fundamental analysis in Hindi
अगर आप कहीं भी पैसे निवेश करते हैं तो आप सबसे पहले उसमे यह देखते है की उससे आपको कितना मुनाफा हो सकता है, तब जाकर आप कहीं पैसे निवेश करते हो।
इसी चीज़ को जब आप किसी कंपनी के लिए करते हैं, जिससे आपको उसका सही वैल्यू पता चल पाए, इसे ही हम फंडामेंटल एनालिसिस करते हैं | इसको हिन्दी में मौलिक विश्लेषण के नाम से भी जाना जाता है।
शेयर के कुछ चीजों को देखकर जब हम कंपनी का एक्चुअल और रियल वैल्यू निकालते हैं, उसे भी हम फंडामेंटल एनालिसिस कह सकते हैं | fundamental kya hota hai, इसके बारे में आपको बहुत अलग – अलग परिभाषा मिल जाएँगी, जिससे कि आप फंडामेंटल एनालिसिस को समझ सके |
Fundamental Analysis meaning in Hindi
जैसा कि मैंने आपको इसके पहले बताया फंडामेंटल एनालिसिस का हिंदी में मतलब होता है मौलिक विश्लेषण | को पता करने की कोशिश करता है कि कंपनी महंगी है या सस्ती तो इसी चीज़ को फंडामेंटल एनालिसिस कहा जाता है।
Fundamental Analysis का क्या काम होता है ?
जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था फंडामेंटल एनालिसिस इसलिए किया जाता है ताकि हम कंपनी या फिर शेयर का सही वैल्यू पता कर सके।
यहाँ पर मैं सिर्फ इतना ही बोलना चाहूंगा की किसी शेयर को उसके सही वैल्यू पर खरीदवाना ही फंडामेंटल एनालिसिस का काम होता है, जिससे कि आपके पैसे पर अच्छा मुनाफा हो सके, पर उसकी सही वैल्यू को निकालते कैसे हैं, उसके बारे में आपको में, मैं आगे बताऊँगा |
Tata Chemicals share price target
Fundamental analysis के प्रकार
देखा जाए तो Fundamental analysis के दो प्रकार हैं | वैसे तो यह आपके काम नहीं आएगा पर भी मैं आपको इसके ऊपर थोड़ी बहुत जानकारी प्रदान करना चाहूँगा |
- Qualitative Analysis
- Quantitative Analysis
Qualitative analysis of a stock
इस तरह कि अनालीसी में हम कंपनी का ब्रांड वैल्यू देखते हैं, उनके management को देखते हैं, कंपनी के काम करने कि शाली को भी देखा जाता है | इसके अलावा मार्केट में कंपनी का कितना माँ सम्मान है, यह सब Qualitative analysis के अंदर आता है |
Quantitative analysis of the stock / share
इस अनालीसिस में कंपनी का financial statement को ज्यादा तवज्जो दिया जाता है जैसे कि – सेल्स, प्रॉफ़िट, बैलन्स शीट, कैश फ्लो स्टैट्मन्ट इत्यादि चीजों को देखा जाता है | Quantitative analysis से हमे यह पता चल पाता है कि कंपनी अपना बिजनस कितने अच्छे से कर पा रही है |
अगर आपको Fundamental analysis करना है तो आपको Qualitative analysis ही सबसे ज्यादा जानना जरूरी है, क्यूंकी इसी से आप कंपनी का fair value निकाल सकते हैं |
Fundamental analysis कितने तरीकों से कर सकते हैं ?
Fundamental analysis in Hindi को दो तरीकों से किया जा सकता है | Fundamental analysis को करने का सबसे पहला तरीका है top-down approach और दूसरा तरीका है bottom – up approach | चलिए दोनों के बारे में आपको बात देता हूँ |
Top-Down approach
टॉप – डाउन अप्रोच में आप सबसे पहले मार्केट देखते हैं, फिर उसके बाद आप सेक्टर का चयन करते हैं और सबसे आखिरी में स्टॉक को चुनते हैं |
सबसे पहले इसमे आप मार्केट का ट्रेंड पता करने की कोशिश करते हैं जैसे कि – मार्केट अपट्रेन्ड में है या डाउन ट्रेंड में है | इसके बाद हर सेक्टर का ट्रेंड देखा जाता है और आखिर में उस सेक्टर के स्टॉक का ट्रेंड देखा जाता है |
शेयर मार्केट में बहुत अलग – अलग प्रकार के सेक्टर है जैसे कि – fmcg, IT, media, real estate, banking, इत्यादि और यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि हर सेक्टर के स्टॉक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हों | इसलिए आपको स्टॉक पर फोकस करना चाहिए |
अगर आप सेक्टर का चयन कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए या यूं कहूँ तो आपको कुछ सवाल पूछने चाहिए जैसे कि –
- क्या यह सेक्टर को भूतकाल में कोई परेशानी का सामना करना पड़ा था ?
- क्या इस सेक्टर का भविष्य उज्जवल है ?
- क्या उस सेक्टर को प्रभाव पड़ेगा या पड़ता है अगर सरकार उसके लिए कोई स्कीम लाती है | जैसे अभी सरकार ने केमिकल एकटोर के लिए PLI scheme कि मंजूरी दी है |
- क्या वह सेक्टर भविष्य के बिजनस में कुछ योगदान दे सकता है या नहीं, आपको यह भी देखना चाहिए |
यह तो हो गया टॉप डाउन अप्रोच केबारे में, तो चलिए अब जानते हैं bottom-up अप्रोच के बारे में |
Bottom – Up Approach
अगर सीधे शब्दों में कहूँ तो bottom-up अप्रोच, top-down अप्रोच का बिल्कुल उल्टा है | जहाँ पर हम टॉप-डाउन अप्रोच में पहले सेक्टर चुनते थे तब स्टॉक, यहाँ पर हम सेक्टर पर ध्यान ही नहीं देते और सीधे स्टॉक का चयन करते हैं |
bottom-up अप्रोच में हम जानी – मानी कंपनी में निवेश करते हैं, हम ऐसी कंपनी चुनने का प्रयास करते हैं जो हमारे काम से सम्बन्धित होती है | यही है bottom – up अप्रोच |
यह वह जाने माने दो तारीके हैं, जिसका आप फंडामेंटल एनालिसिस करने में इस्तेमाल कर सकते हैं और निवेश कर सकते हैं |
कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें ?
Fundamental analysis in Hindi का यह महत्वपूर्ण पार्ट है | अगर आपको कंपनी का फंडामेंटल देखना है तो आपको बस तीन चीजें देखने की जरूरत है |
- सेल्स (Sales)
- मुनाफा (Profit)
- प्रोमोटर्स होल्डिंग और management (Promoters holding and management)
- कर्ज (Debt)
बस आप यह चार चीज देख लीजिए आपको कंपनी का फंडामेंटल अच्छे से पता चल जाएगा | इसके अलावा भी बहुत कुछ देखा जा सकता है पर वह अभी के समय में जरूरी नहीं है |
फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें in hindi | How to do fundamental analysis in Hindi?
पूरे लेख (Fundamental analysis in Hindi) का यह सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, आप अगर सिर्फ यही पढ़ लेंगे तो आपका काम हो जाएगा | यहाँ जिन पॉइंट्स के ऊपर बात कि जाएगी उनको आप ज्यादा तवज्जो देना और लिख लेना |
इस अनालीसिस को करते समय एक बात का आपको सबसे ज्यादा ध्यान रखना है, वो यह है कि आपको सिर्फ वही कंपनी में निवेश करना है जिसका मार्केट कैप 500 करोड़ से ज्यादा हो |
तो चलिए जानते हैं उन पॉइंट्स के बारे में जिसकी मदद से आप step by step fundamental analysis करना सीख सकते हैं |
- सबसे पहले आपको कंपनी का मार्केट कैप देखना है
- कंपनी के बिजनस को समझने का प्रयास करें (इसमे आप chat gpt कि मदद से सकते हैं)
- कंपनी के financial statement देखें (तिमाही नतीजे और यीर्ली (yearly) रिजल्ट देखें)
- प्रोमोटर्स कि होल्डिंग, FII और DII की होल्डिंग्स देखें
तो चलिए एक – एक करके हम इन सभी चीजों को और डीटेल में देखते हैं और अपने फंडामेंटल एनलीसिस का सफर शुरू करते हैं |
Market Capitalization (मार्केट कैप )
शेयर वैल्यूऐशन और स्टॉक वैल्यूऐशन यह एक महत्वपूर्ण criteria है और Fundamental analysis in Hindi का यह हमारा पहला criteria है और इसका बहुत महत्व भी रहता है |
जैसे कि मैंने आपको पहले भी बताया है आपको ऐसी कंपनी में ही निवेश करना है, जिसका मार्केट कैप कम से कम 500 करोड़ से ज्यादा हो, क्यूंकी कम मार्केट कैप वाले स्टॉक्स को manipulate करना बहुत आसान हो जाता है और इसमे जनता फस जाती है |
जब आप किसी भी कंपनी के मौजूदा प्राइस को उसके outstanding शेयर (ऐसे शेयर जो मार्केट में खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध हैं और प्रोमोटर्स के पास हैं) से गुणा करते हैं, तो हमे कंपनी का मार्केट कैप मिलता है |
अगर किसी भी कंपनी का मार्केट कैप कम है और उसके outstanding शेयर भी कम हैं तो कोई भी उसमे 50 – 60 करोड़ डालकर उसे manipulate कर सकता है | इसलिए हमे कोशिश करना है ऐसी कंपनी में निवेश करने का जिसका मार्केट कैप ज्यादा हो |
कंपनी का बिजनस समझे
Fundamental analysis in Hindi का यह हमारा दूसरा सबसे जरूरी criteria है, क्यूंकी सारा खेल बिजनस का है, अगर आप कंपनी का बिजनस समझ जाते हैं और यह जान जाते हैं कि यह कंपनी का बिजनस तो 10 – 20 साल तक चलता रहेगा तो आपको चिंता नहीं करना चाहिए |
बिज़नेस एनालिसिस करते समय आपको कुछ सवाल पूछने चाहिए जैसे की –
- क्या इस कंपनी का बिज़नेस सरकार के कोई निर्णय से प्रभावित हो सकता है?
- क्या यह कंपनी बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपने बिज़नेस को ढाल सकता है?
- कंपनी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए इनके फ्यूचर प्लान क्या हैं?
- क्या यह कंपनी अपने मार्केट या सेक्टर के लिडर है?
दुनिया के सबसे जाने माने निवेशक Warren Buffet का भी यही सिद्धांत था, वह ऐसी किसी भी कंपनी में निवेश नहीं करते हैं जिनका उन्हें बिज़नेस समझ में नहीं आता।
अगर आपको पता है कि कंपनी का बिज़नेस अच्छा है, परन्तु मार्केट में कंपनी के शेयर नीचे गिर रहे है, तो ऐसे समय में आप बाकियों की तरह बेचेंगे नहीं और पर उसे और खरीदने का प्रयास करेंगे। ऐसा तभी हो सकता है जब आपको कंपनी के बिज़नेस पर पूरा विश्वास हो।
उदाहरण के लिए मैं आपको बताना चाहूंगा कुछ ऐसी कंपनियों के नाम जिसका शेयर प्राइस गिरे तो आपको चिंता नहीं करना चाहिए | वह कंपनी है हिंदुस्तान यूनिलीवर, Nestle, Britannia, ITC, HCL tech, Reliance, TCS, Asian Paints, Pidellite इत्यादि |
अगर आपको यह लग रहा है कि शेयर अभी बहुत महंगे हैं तो मैं आपको बताना चाहूंगा आने वाले पांच से 10 साल में यह शेयर अपने मौजूदा दाम से दो – तीन यहाँ तक की पांच गुना भी महंगे हो सकते हैं।
कंपनी के financial statement देखें
पूरे लेख (Fundamental analysis in Hindi) का या सबसे जरूरी हिस्सा है और इसे आप ठीक से पढ़िएगा क्योंकि यह पढ़कर आप खुद से किसी भी शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस करना सीख सकते हैं।
मार्केट में बहुत सारे वेबसाइट जैसे कि – screener, tickertape और stockedge उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप किसी भी कंपनी का फाइनेंशियल स्टेटमेंट देख सकते हैं, पर सवाल ये उठता है कि फाइनेंशियल स्टेटमेंट में हमें देखना क्या है |
तो मैं यहाँ पर आपको step by step process बताने जा रहा हूँ जिससे आप फंडामेंटल एनालिसिस खुद से करना सीख सकते हैं।
- सबसे पहले आपको कंपनी का मार्केट कैप देखना है
- उसके बाद कंपनी का book value देखना है
- फिर इसके बाद आपको price to book value देखना है
- अगला स्टेप है इसका सेल्स और प्रॉफ़िट देखने का
- फिर आपको cash flow देखना है
- आखिर में आपको प्रोमोटर्स होल्डिंग्स और FII और DII होल्डिंग देखनी है |
अब इनके अंदर क्या और कैसे देखना है, तो चलिए अब step by step process से How to do fundamental analysis of stocks in Hindi के बारे में भी जान लेते हैं |
Book value
बुक वैल्यू कंपनी कि वह वैल्यू होती है जो उसकी original कीमत होती है | मतलब कि अगर कंपनी के सब कर्जे चुकाने के बाद और इनके सब assets बेचने के बाद जो वैल्यू आती है, उस वैल्यू को हम बुक वैल्यू कह सकते हैं |
बुक वैल्यू का आपको बहुत अलग – अलग तरह की परिभाषा मिल जाएगी, पर वो इतना जरूरी नहीं है, हमे इसका इस्तेमाल कैसे करना है वह देखना है |
कंपनी की बुक वैल्यू भी हमेशा घटती बढ़ती रहती है। अगर कंपनी अपने assets को लगातार बढ़ाती जा रही हैं, तो आपको कंपनी का बुक वैल्यू बढ़ते हुए दिखेगा।
वहीं दूसरी तरफ अगर कंपनी के ऐसेट्स लगातार कम होते जा रहे हैं और उनकी लाइबिलिटीज बढ़ रही है तो उसका बुक वैल्यू आपको कम होता दिखाई देगा और यह एक संकेत है कि कंपनी आने वाले समय में कर्जा ले सकती है।
कंपनी का बुक वैल्यू आपको उस शेयर के बारे में सीधा संकेत देता है कि यह शेयर कितना undervalue है, overvalue है या फिर अपने सही valuation पर है |
CMP | Book Value | Valuation |
1200 | 100 | Overvalue |
200 – 300 | 100 | Normal |
70 – 80 | 100 | Undervalue |
10 | 100 | कर्जे में है (debt) |
Price to Book Value
price to book value को आप ऐसे समझ सकते हैं। कंपनी अपनी बुक वैल्यू से कितने गुना ऊपर ट्रेड कर रहा है इसी को हम सरल भाषा में price to book value कहते हैं।
बुक वैल्यू के टेबल कि मदद से मैं आपको price to book value के बारे में बताना चाहूंगा। इन दोनों से आप कंपनी के वैल्यूऐशन का पता लगा सकते हैं |
CMP | Book Value | price to book value |
1200 | 100 | 12x |
200 – 300 | 100 | 2x से 3x |
70 – 80 | 100 | 0.7x से 0.8x |
10 | 100 | 0.1x |
अगर किसी भी कंपनी का price to book value दो से तीन गुना है तो उसमें आप निवेश कर सकते हैं और अगर किसी भी कंपनी का price to book value 6 से 7 गुना ज्यादा है तो उसमें आपको निवेश करने से बचना चाहिए।
और अगर आपको ऐसी कंपनी मिल जाए जिसका प्राइस उसके बुक वैल्यू से कम है तो उसमें आपको थोड़ा बहुत रिसर्च करनी चाहिए और अगर पूरा रिसर्च करने के बाद सब सही बैठता है तो वो आपके लिए बहुत ही अच्छा निवेश साबित हो सकता है।
एक चीज़ मैं आपको और बताना चाहूंगा अगर किसी कंपनी का शेयर नीचे से ऊपर जा रहा है तो और वह अपने बुक वैल्यू के दो 2x से तीन गुना 3x लेवल पर जाता है तो वह उसके लिए रजिस्टेंस का काम करता है और अगर कोई शेर ऊपर से नीचे गिर रहा है तो, वह इसके लिए सपोर्ट का काम करता है।
Balance Sheet और Profit-loss कैसे देखें
Fundamental analysis in Hindi में Balance Sheet और Profit loss का बहुत महत्व है, तो इसे आपको बहुत ही गौर से देखना है |
Balance sheet में आपको दो चीजे देखने को मिलेंगी और वही दो चीजें आपको उसमें देखना भी है, पहला तो assets और दूसरा है लायबिलिटीज (liabilities)। अभी से देखना पैसे है उसके बारे में जान लेते हैं।
एक चीज पर आपको ध्यान देना है और वो यह है कि कंपनी के assets लगातार बढ़ते रहें तो अच्छा है, अगर कंपनी के लाइबिलिटीज़ बढ़ रहे हैं और assets कम है तो यह चिंता का विषय है |
आपको कोशिश करना है ऐसी कंपनी चुनने का जिसका assets उसकी liabilities से 1.5 से 2 गुना हो, तब जाकर यह उस कंपनी का एक प्लस पॉइंट होता है |
अब जान लेते हैं प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट में आपको क्या देखना | सबसे पहली चीज़ जो आपको प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट मेनन देखना है वह है कंपनी का सेल्स।
किसी भी कंपनी का सबसे जरूरी चीज़ होता है उसका सेल्स, जब तक उसको सेल्स नहीं आएँगे तब तक वो revenue (रेवेन्यू) नहीं बना पाएगा और न ही उसे प्रॉफिट हो पाएगा, इसलिए सेल्स बहुत ही महत्वपूर्ण criteria है |
अब बात आती है की आपको कितने साल पुराना सेल्स देखना चाहिए | कम से कम आपको 5 साल पुराना सेल्स डाटा देखना चाहिए और यह कैलकुलेट करना चाहिए कि 5 साल में इनकी सेल्स कितने गुना बढ़ी है या कम हुई है | यह निकालने के लिए आपको बस मौजूदा सेल्स को 5 साल पुराने वाले सेल से भाग दे देना है |
उदाहरण के लिए मान लीजिए एक xyz कंपनी है, जिसका मौजूदा सेल्स 500 है और 5 साल पहले का सेल्स 250 था तो 5 साल में इनका सेल्स 2 गुना हुआ है | इतना करने के बाद आपको इसका 5 साल पहले का शेयर प्राइस देखना है और अभी के शेयर प्राइस से तुलना करना है कि यह कितने गुना हुआ है |
जो चीज आपने सेल्स में अपनाई है यह same step आपको प्रॉफ़िट में भी देखना है पर एक बात का आपको खास ध्यान देना है और वो यह है कि आपको PBT (profit before tax) नहीं PAT (profit after tax) देखना है |
PAT में भी आपको पिछले 5 साल का प्रॉफ़िट रिकार्ड देखना है और उसी तरह analyse करना है जैसे आपने सेल्स में किया था | 5 साल मैं कितना गुना हुआ है ये निकाल लीजिए फिर उसके आधार पर उसका मौजूदा प्राइस निकाल लीजिए |
प्रोमोटर्स, FII और DII होल्डिंग्स देखें
होल्डिंग्स देखने के लिए आपको कुछ criteria को फॉलो करना है जैसे कि –
- प्रोमोटर्स की होल्डिंग्स कम से कम 40% से 50% होनी ही चाहिए |
- अगर प्रोमोटर्स ने 10% से ज्यादा शेयर pledge करके रखे हैं तो, ऐसी कंपनी से दूर रहे |
- अगर प्रोमोटर्स ने अपने शेयर unpledge किए हैं तो, अच्छी बात है |
- प्रोमोटर्स कि होल्डिंग बढ़ी हैं तो अच्छी बात है |
- किसी बड़े FII और DII ने अपनी होल्डिंग्स बढ़ायी हैं तो अच्छी बात है |
- अगर FII और DII कि होल्डिंग्स 20% से ज्यादा हो गई हो तो उसमे निवेश से थोड़ा बचे, क्यूंकी वह प्रॉफ़िट बुकिंग कर सकते हैं |
- अगर पब्लिक की होल्डिंग 10% से 20% है तो उसमे ट्रैडिंग करें investment नहीं |
इसके अलावा म्यूचूअल फंड कि होल्डिंग्स को भी जरूर देखें | अगर आपको बड़े – बड़े म्यूचूअल फंड कि होल्डिंग्स दिखाई देती है तो ये एक प्लस पॉइंट है |
इसके अलावा आप यह देखिए कि किस FII या DII ग्रुप ने कौन से तिमाही में अपनी होल्डिंग्स को बढ़ाया है | आपको वो महिना देखना है जिसके भीतर होल्डिंग्स बढ़ी हैं | अगर आप वह महिना ढूड़ लेते हैं तो आपको वह प्राइस मिल जाएगा जिसपे institutional investors ने अपनी होल्डिंग्स बढ़ायी है |
ये तो कुछ चुनिंदा चीज हों गईं जो आपको जरूर देखना चाहिए | इसके अलावा आप बहुत सारी चीज हैं जो आप देख सकते हैं जैसे कि –
- पिछले तीन और 5 साल का average P/E
- ROCE और ROE
- Debt / equity ratio
Share का फंडामेंटल कैसे चेक करें ?
Fundamental analysis in Hindi में शेयर का फंडामेंटल चेक करने के लिए आपको अलग – लाग तरीके के financial ratios का अध्ययन करना पड़ेगा जैसे कि –
- बुक वैल्यू
- price to book value
- Debt / equity ratio
- ROCE और ROE
- 3 years Average P/E
- 5 years Average P/E
- 3 years सेल्स ग्रोथ
- 5 years सेल्स ग्रोथ
- 3 years प्रॉफ़िट ग्रोथ
- 5 years प्रॉफ़िट ग्रोथ
- promoters होल्डिंग्स
- प्रोमोटर्स pledge शेयर होल्डिंग्स
निष्कर्ष
आज के इस लेख में आपने fundamental analysis क्या होता है, fundamental analysis kaise kare in hindi के बारे में जाना और इसके साथ – साथ आपने स्टॉक का फंडामेंटल अनालीसिस कैसे किया जाता है उसके बारे में भी पढ़ा |
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किसी भी कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें ?
अगर आप कंपनी का फंडामेंटल चेक करना चाहते हैं तो आप इसकि शुरुआत उसके सेल्स, प्रॉफ़िट, प्रोमोटर्स होल्डिंग्स और बुक वैल्यू देखकर कर सकते है |
फंडामेंटल अनालीसिस का काम क्या होता है ?
फंडामेंटल अनालीसिस का काम आपको एक अच्छा और सही वैल्यू का शेयर ढूड़ने का होता है, जिससे आप सही जगह और अच्छे और undervalue शेयर में निवेश कर सकें |
fundamental kya hota hai ?
जब हम किसी शेयर के ratio जैसे कि – book value, P/E, D/E, ROCE, ROE इत्यादि चीजों को देखते हैं तो इसे फंडामेंटल कहा जाता है |
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