वैसे तो म्यूचूअल फंड के प्रचार बहुत होते हैं परंतु यह सब प्रचार SIP ke nuksan के बारे में विस्तार से नहीं बताते हैं |
वैसे SIP सिर्फ म्यूचूअल फंड में नहीं किया जाता है, आप स्टॉक में भी SIP कर सकते हैं और etf में भी SIP किया जा सकता है |
आज के इस लेख में हम आपको SIP ke nuksan in hindi के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे आप निवेश करने से पहले सही निर्णय ले सकें |
SIP ke nuksan details in hindi
SIP के नुकसान जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि एसआईपी (सिप) होती क्या है ?
एसआईपी का फुल फॉर्म Systematic Investment Plan होता है और यह इन्वेस्टमेंट का एक ऐसा तरीका है जिसकी मदद से इन्वेस्टर एक नियमित समय सीमा पर नियमित राशि मार्केट में निवेश करता है |
सिप के कुछ ऐसे नुकसान है जिसके बारे में आपको पता होगा परंतु SIP के कुछ ऐसे नुकसान होते हैं जिसके बारे में हर निवेशक को पता होता है |
तो चलिए एक – एक कर के हम disadvantages of SIP in hindi के ऊपर बात करते हैं और आपकी आँखें खोलते हैं |
SIP ke nuksan in hindi
- लंबी अवधि के लिए निवेश न करने से नुकसान
- exit load के कारण नुकसान
- lock – in period से नुकसान
- expense ratio से नुकसान
- कम समय में कम रिटर्न से नुकसान
- नेगेटिव न्यूज आने से नुकसान
- मार्केट के गिरने से नुकसान
- रिटर्न के लिए फंड हाउस पर निर्भर रहना पड़ता है
- फिक्स रिटर्न की गारंटी ना होना
- महंगाई बढ़ने से रिटर्न कम होना
- ज्यादा रिस्क वाली चीजों में निवेश करने से नुकसान
- सिप में विविधता न होने से नुकसान
यह कुछ हमारे SIP ke nuksan list in hindi हैं, जिनके ऊपर हम आगे इस लेख में विस्तार से बात करेंगे |
तो चलिए हम अपने SIP के नुकसान की सूची से सबसे फेल नुकसान की बात करते हैं |
लंबी अवधि के लिए निवेश न करना
जब भी आप कोई इनवेस्टमेंट का तरीका अपनाते हैं चाहे वह SIP हो या lump sum, तो आपको उस तरीके के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए |
सिप (SIP) इनवेस्टमेंट का एक ऐसा तरीका है, जो आपको लंबी अवधि पर ही अच्छा रिटर्न दे सकता है और आपका रिटर्न compound हो कसता है |
अगर आप कम समय के लिए निवेश करना कहते हैं और सिप वाला तरिका अपनाना चाहते हैं तो मैं आपको इसकी सलाह नहीं दूंगा |
कम समय में आप सिप के माध्यम से अच्छा रिटर्न नहीं बना पाएंगे, परंतु यदि आप कम से कम 10 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप सिप वाला रास्ता चुन सकते हैं |
इस नुकसान से बचने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहिए तभी आपको अपने निवेश पर compounded रिटर्न मिल सकता है |
Exit – load पता न होने से नुकसान
यह नुकसान आपको तभी होगा जब आप म्यूचूअल फंड में सिप कर रहे हों |
बहुत सारे ऐसे म्यूचूअल फंड होते हैं जो आपसे कुछ प्रतिशत चार्ज करते हैं जब आप एक निश्चित समय से पहले अपने निवेश या सिप को निकालते हैं |
चलिए इस वाले SIP के नुकसान को हम एक उदाहरण से समझते हैं |
मान लीजिए आप एक म्यूचूअल फंड में SIP करना चालू किए है और अचानक आपको पता लगा कि यह फंड अच्छा नहीं है या किसी कारण वश आपको पैसे निकालने हैं
तो ऐसे में कुछ म्यूचूअल फंड ऐसे होते हैं जो आपसे समय से पहले पैसे निकालने पर कुछ प्रतिशत चार्ज करते हैं | यह चार्ज आपकी पूरी राशि पर लगता है |
मान लीजिए एक म्यूचूअल फंड है जिसमे आपने 1000 की sip की है और 10 माहिने बाद आपको पैसे की जरूरत है परंतु वह म्यूचूअल फंड 1 साल से पहले पैसे निकालने पर 2% चार्ज करता है |
ऐसे में आपका exit – load चार्ज –
निवेश किया हुआ पैसा – 1000 * 10 (महीने) = 10000 रुपए
exit – load चार्ज – 10,000 * 2% = 200
Lock – in period के कारण नुकसान
SIP के नुकसान का यह हमारा तीसरा नुकसान है | यह भी म्यूचूअल फंड के नुकसान के अंतर्गत ही आएगा क्यूँकी लॉक – इन पीरीअड म्यूचूअल फंड में ही होता है |
lock – in period एक ऐसा फीचर है, जिसमे आपका पैसा कुछ समय – सीमा के लिए लॉक हो जाता है, जिसके कारण आप पैसे नहीं निकाल सकते हैं |
भारत में कुछ ऐसे फंड होते हैं जैसे की – ELSS, जो lock – in period के साथ आते हैं और जिसमे आपका पैसा कुछ समय के लिए लॉक हो जाता है |
ELSS जैसे म्यूचूअल फंड स्कीम में आपका पैसा 3 साल के लिए लॉक हो जाता है |
इसलिए अगर आप लॉक – इन पीरीअड वाले फंड में निवेश करते हैं तो आप उससे 3 साल बाद ही पैसे निकाल पाएंगे और 3 साल में आपको कुछ खास रिटर्न नहीं मिलेगा |
तो ऐसे में आपको इसमे 2 तरीके के नुकसान होते हैं – एक तो कम रिटर्न मिलेगा और दूसरा मार्केट के प्रदर्शन न करने से आप पैसे नहीं निकाल पीएंगे |
Expense ratio पता न होने से नुकसान
expense ratio भी म्यूचूअल फंड के अंतर्गत ही आता है और यह भी एक प्रकार का चार्ज होता है जो म्यूचूअल फंड हाउस लेती है |
म्यूचूअल फंड स्कीम की देख – रेख करने के लिए उसका एक मैनेजर होता है जीसकी एक सैलरी होती है |
इसके अलावा और भी कुछ अन्य खर्चे होते हैं जो म्यूचूअल फंड expense ratio के माध्यम से हमसे लेती है | expense ratio आपकी sip वाली राशि पर लगता है |
expense ratio लगभग हर एक म्यूचूअल फंड स्कीम में होता है परंतु अंतर सिर्फ इतना होता है – कुछ का ज्यादा होता है कुछ का कम होता है |
अगर आपको पता हो तो म्यूचूअल फंड 2 तरीके के होते हैं एक direct mutual fund और दूसरा regular mutual fund |
मैंने ऐसा देखा है – direct mutual fund का expense ratio कम होता है पर रेगुलर वाले म्यूचूअल फंड का expense ratio ज्यादा होता है |
जहाँ डायरेक्ट म्यूचूअल फंड का expense ratio 0.75% होता है वहीं रेगुलर म्यूचूअल फंड का expense ratio 2% से 3% होता है |
तो चलिए एक उदाहरण से देखते हैं कि यदि आपने 1000 रुपये की सिप की है और डायरेक्ट म्यूचूअल फंड का expense ratio 0.75% है तो ऐसे में आपका कितना पैसा कटेगा –
1000 * 0.75% = 7.5 रुपए
जब – जब आप 1000 रुपए डालेंगे तब – तब आपसे 7.5 रुपए उसी समय ले लिया जाएगा और आपका सिर्फ 992.50 रुपए ही इन्वेस्ट होगा |
SIP ke nuksan PDF in hindi
कम समय में कम रिटर्न से नुकसान
SIP के नुकसान in hindi का यह हमारा पाँचवाँ नुकसान है और अधिकतर निवेशक इसी नुकसान में फस जाते हैं | SIP एक ऐसा निवेश का जरिया है जो आपको लंबे समय करने पर ही अच्छे रिटर्न दे सकता है |
बहुत लोग म्यूचूअल फंड और स्टॉक में 3 साल के लिए सिप करते हैं और सोचते हैं इससे हम 15% से 20% का रिटर्न मिल जाएगा |
अगर आप इतने कम समय के लिए निवेश करते हैं तो आपको इतना ज्यादा रिटर्न मिल पाना अत्यंत मुश्किल है |
कम समय में आपको हमेशा कम ही रिटर्न मिलेगा और अगर मार्केट या शेयर साइड वेस है और ज्यादा ऊपर नहीं गया तो आपको इसमे कोई भी रिटर्न नहीं मिलेगा |
इसलिए अगर आप सिप करना चाहते हैं तो आपको कम से कम 7 से 10 साल के लिए सिप करना चाहिए, तभी आपको अच्छे रिटर्न मिल पाएंगे |
नेगेटिव न्यूज आने से नुकसान
अगर किसी भी म्यूचूअल फंड हाउस या किसी शेयर से संबंधित नेगेटिव न्यूज आती है, जिसमे आपने सिप की है तो ऐसे में बहुत ज्यादा संभावना है कि आपको निवेश थोड़ा कम हो जाए |
बहुत निवेशक क्या करते हैं कि जैसे ही न्यूज आती है और उनका निवेश कम हो जाता है तो वह पैसा निकालने लग जाते हैं, जोकि एक सही अप्रोच नहीं है |
ऐसे समय में आपको उस न्यूज की गंभीरता पर विचार करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि लॉंग – टर्म में इसका प्रभाव क्या हो सकता है |
अगर लंबे समय में इसका प्रभाव खराब है तो आप अपने पैसे को निकाल सकते हैं और यदि लंबे समय में यह आपके रिटर्न को प्रभावित नहीं कर रहा है तो आप अपनी सिप करते रहें |
मार्केट के गिरने से नुकसान
मार्केट कभी भी एक सीधी दिशा में हमेशा ऊपर नहीं जाता है | पहले वह ऊपर जाता है, फिर नीचे आता है, फिर और ऊपर जाता है फिर नीचे आता है |
अब आप निफ्टी को ही देख लीजिए – 2020 में गिरा, फिर 2020 से ऑक्टोबर 2021 तक ऊपर गया, फिर जून 2022 तक गिरा, जून से नवंबर 2022 तक ऊपर गया फिर मार्च 2023 तक नीचे गिरा |
परंतु जब – जब मार्केट नीचे गिरा है, उसके बाद वह और ऊपर गया है |
जब – जब मार्केट गिरता है तो उस समय म्यूचूअल फंड के units एवं शेयर में भी गिरावट होती है और आपका रिटर्न कम हो जाता है |
ऐसे में यही सबसे अच्छा समय होता है जब आप कम दाम पर अपने शेयर और म्यूचूअल फंड को खरीद कर ऐव्रिज कर सकते हैं |
फिर उसके बाद जब मार्केट ऊपर जाएगा तो ऐसे में आपको अच्छा मुनाफा हो सकता है |
रिटर्न के लिए फंड हाउस पर निर्भर रहना पड़ता है
म्यूचूअल फंड को चलाने वाले फंड हाउस होते हैं और म्यूचूअल फंड को मैनेज या यूं कहे कि देख – रेख करने वाले फंड मैनेजर होते हैं |
कोई भी स्कीम को मैनेज करने वाला एक फंड मैनेजर होते है जो उस स्कीम के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेता है जैसे कि – कौन से सेक्टर में निवेश करना है, कब पैसों को निकालना है, कब पैसे निवेश करना है, इत्यादि |
आप पर इसका कोई भी कंट्रोल नहीं होता है जिसके कारण आप चाहते हुए भी किसी सेक्टर से पैसे नहीं निकाल सकते हैं और न ही डाल सकते हैं |
ये नुकसान भी सबसे महत्वपूर्ण SIP के नुकसान हैं जो आपको निवेश करने से पहले ध्यान रखना चाहिए |
इस नुकसान से बचने के लिए आप यह देख सकते हैं कि म्यूचूअल फंड वालों ने किस सेक्टर में कितना प्रतिशत निवेश किया हुआ है | अगर आपको यह लग रहा है कि उन्होंने किसी सेक्टर में ज्यादा निवेश किया है तो आप उसमे निवेश न करें |
फिक्स रिटर्न की गारंटी ना होना
निवेश करने के लिए मार्केट में जीतने भी विकल्प मौजूद हैं उनमे से आपको किसी में भी निश्चित रिटर्न नहीं मिलता है |
यहाँ तक की FD में भी आपको फिक्स रिटर्न नहीं मिलता है | महंगाई के घटने – बढ़ने से fd rates भी कम – बेस होते हैं, जिसके आपके रिटर्न प्रभावित होते हैं |
और हम बात कर रहे हैं स्टॉक, etf, और म्यूचूअल फंड की जहाँ से किसी भी तरीके का fix रिटर्न नहीं मिलता है |
जब – जब मार्केट अच्छा प्रदर्शन करेगा तो आपका रिटर्न ज्यादा होगा और अगर किसी वर्ष मार्केट खराब प्रदर्शन करता है तो रिटर्न कम होगा |
इसलिए कहते हैं “mutual fund are subject to market risk” | अगर आप किसी भी म्यूचूअल फंड, nifty bees etf या स्टॉक में निवेश करते हैं तो आपको अपने रिटर्न की अवधारणा को कम कर के निवेश करना चाहिए |
महंगाई बढ़ने से रिटर्न कम होना
SIP ke nuksan hindi mein अब हम महंगाई के बढ़ने से रिटर्न में होने वाले नुकसान पर बात करेंगे | ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है कि महंगाई बढ़ नहीं रही है | महंगाई तो निरंतर बढ़ती जा रही है और बढ़ती रहेगी |
भारत में अभी की महंगाई 6 से 7% है और भविष्य में यह थोड़ा बहुत भी बढ़ती है तो इससे हमारे रिटर्न प्रभावित हो सकते हैं |
अगर हम किसी भी म्यूचूअल फंड या स्टॉक में निवेश करते हैं और वह हमे 10% से 12% रिटर्न देता है और अगर भविष्य में महंगाई 9% हो जाती है तो हमरे रिटर्न मुश्किल से महंगाई को मात दे पाएंगे |
इसे समझने के लिए आप ऐसे समझ सकते हैं – जो वैल्यू 1980 में 1 लाख रुपए की होगी क्या वही वैल्यू अभी के समय में 1 लाख की है ?
जो चीजें आप 1980 में 1 लाख रुपए से खरीद सकते थे क्या वह आप अभी के समय में भी 1लाख से खरीद सकते हैं ?
निरंतर महंगाई बढ़ रही और हर चीज के दाम भी बढ़ रहे हैं और भविष्य में यह दाम और भी बढ़ेंगे तो अगर हमारे म्यूचूअल फंड या स्टॉक के रिटर्न महंगाई को मात नहीं दे पाएंगे तो ऐसे में हमारे निवेश करने का कोई फायदा नहीं होगा |
अगर मान लीजिए आपका निवेश किया हुआ पैसा 10 साल बाद 1 करोड़ हो जाता है तो क्या जो वैल्यू अभी के समय में 1 करोड़ की है, वही वैल्यू इसकी 10 साल बाद भी होगी |
नहीं बिल्कुल भी नहीं !
ज्यादा रिस्क वाली चीजों में निवेश करने से नुकसान
SIP के नुकसान में आपको यह वाला नुकसान करने से बिल्कुल बचना चाहिए क्यूँकी यह आपके लिए सबसे जोखिम भरा हो सकता है |
बहुत म्यूचूअल फंड ऐसे हैं जो ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न देते हैं | यह स्वाभाविक सी बात है कि अगर कोई फंड ज्यादा रिटर्न दे रहा है तो ज्यादा रिस्क भी ले रहा है |
यदि आपका गोल ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न बनाना नहीं है तो आपको ऐसे म्यूचूअल फंड से दूर रहना चाहिए |
म्यूचूअल फंड ही नहीं यहाँ तक की कोई ऐसा स्टॉक्स जिसमे ज्यादा रिस्क है तो ऐसे स्टॉक में भी आपको सिप करने से बचना चाहिए |
सिप में विविधता न होने से नुकसान
अगर आप सिप कर रहे हैं और एक ही जैसे म्यूचूअल फंड या एक ही जैसे सेक्टर वाले स्टॉक में निवेश करते हैं तो इससे आपको भारी नुकसान हो सकता है |
बहुत सारे ऐसे म्यूचूअल फंड होते हैं जो एक ही सेक्टर में जरूरत से ज्यादा निवेश कर देते हैं | अगर किसी कारण वस उस सेक्टर में गिरावट होती है तो आपका रिटर्न और इन्वेस्ट किया हुआ राशि कम हो जाएगा |
अगर आप किसी लार्ज कैप वाले म्यूचूअल फंड में निवेश करते हैं तो आप यह देख पाएंगे कि उन अभी के सभी फंड स्कीम में एक ही जैसे स्टॉक होंगे |
बहुत सारे ऐसे भी म्यूचूअल फंड होते हैं जो सिर्फ एक निश्चित सेक्टर के लिए ही बने हुए होते हैं और कई लोग पूरे एक सेक्टर पर ही पैसा लगा देते हैं |
अगर आप ऐसे सेक्टर में पैसे लगा दिए जिसके भविष्य में बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा नहीं हैं तो ऐसे में आपको ज्यादा रिटर्न नहीं मिल पाएगा |
इसलिए अगर आप किसी भी म्यूचूअल फंड में सिप करने का सोच रहे हैं तो सबसे पहले आप उसके पोर्ट्फोलीओ को देखिए और यह देखिए कि उसने किस सेक्टर में कितना % निवेश किया है |
अगर आप किसी स्टॉक में सिप कर रहे हैं तो कोशिश करें कि स्टॉक अलग – अलग सेक्टर के हों, जिससे अगर कोई सेक्टर प्रदर्शन नहीं करता है तो आपके रिटर्न पर ज्यादा असर न पड़े |
यह कुछ 12 तरीके के नुकसान थे जो हमने आपको SIP ke nuksan details in hindi के अंतर्गत बताया |
SIP ke nuksan निष्कर्ष
हमने इस लेख में आज आपको SIP के नुकसान और SIP ke nuksan explain in hindi के बारे में विस्तार से बताया है |
SIP ke nuksan hindi में हमने आपको 12 तरीके के सिप के नुकसान के बारे में बताया है और यह भी बताया कि आप कैसे इन सब नुकसान से बच सकते हैं |
अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल या संदेह है तो आप नीचे में कमेन्ट करके पूछ सकते हैं | एसआईपी के नुकसान
SIP Ke Nuksan FAQ
एसआईपी के नुकसान क्या – क्या हैं ?
अगर आप म्यूचूअल फंड में सिप कर रहे हैं तो आपको exit – load, expense ratio और lock – in पीरीअड से नुकसान हो सकता है |
एसआईपी के नुकसान से कैसे बच सकते हैं ?
सिप में निवेश करने से पहले अगर आप सब जाँच परताल करते हैं तो आप सिप SIP के नुकसान से बच सकते हैं |
SIP के नुकसान कब होता है?
जब आप बिना सोचे समझे और जाँचे बिना निवेश करते हैं और अपने रिस्क से ज्यादा रिस्क लेकर निवेश करते हैं तो आपको SIP के नुकसान होता है |