इस वेब स्टोरी में हम डिमांड और सप्लाइ ट्रैडिंग के बारे में जानेंगे और उसकी बारीकियों को समझने का प्रयास करेंगे |
वैसे देखा जाए तो शेयर मार्केट का पूरा सिद्धांत डिमांड और सप्लाइ पर ही आधारित है |
जैसे ही किसी शेयर का डिमांड बढ़ता है उसका शेयर ऊपर जाने लगता है और जैसे ही उसका डिमांड कम होता है शेयर नीचे आ जाता है |
ट्रैडिंग में भी कुछ ऐसा ही होता है शेयर का प्राइस जैसे नीचे आता है वैसे ही उसका डिमांड बढ़ने से डिमांड ज़ोन बनता है और शेयर ऊपर जाता है |
और अगर किसी शेयर का प्राइस ऊपर चला जाता है तब उसके सेलिंग से सप्लाइ ज़ोन बनता है और शेयर नीचे आने लगता है |
पर क्या आपको पता है कि आप यह शेयर का डिमांड और सप्लाइ पहले से पता कर साकते हैंन वो भी कैन्डल्स्टिक कि मदद से |
जी हाँ आपने सही पढ़ा, जब – जब डिमांड ज़ोन बनता है तब – तब चार्ट में अलग तरीके का कैन्डल्स्टिक पैटर्न बनता है |
यह कैन्डल्स्टिक पैटर्न डिमांड और सप्लाइ दोनों ही कन्डिशन में बनता है परंतु दोनों का नाम और बनने का तरीका अलग – अलग होता है |
डिमांड और सप्लाइ ट्रैडिंग क्या होता है, इसे कैसे करते हैं इन सब के बारे में मैंने लिखा हुआ है जिसे यहाँ समझना और समझाना दोनों ही मुश्किल होगा |
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